Sunday, November 1, 2009

दुश्मनों को भी अपना दोस्त बनाना चाहता हूं,


खुशी हो या गम, बस मुस्कुराना चाह्ता हूं, ..
दोस्तॊं से दोस्ती तो हर कोई निभाता है.. दुश्मनों को भी अपना दोस्त बनाना चाहता हूं,
 

जो हम उडे ऊचाई पे अकेले, तो क्या नया किया.. साथ मे हर किसी के पंख फ़ैलाना चाह्ता हूं,
वोह सोचते हैं कि मैं अकेला हूं उन्के बिना.. तन्हाई साथ है मेरे, इतना बताना चाह्ता हूं..
 

ए खुदा, तमन्ना बस इतनी सी है.. कबूल करना.. मुस्कुराते हुए ही तेरे पास आना चाह्ता हूं,
बस खुशी हो हर पल, और मेहकें येह गुल्शन सारा “अभी”.. हर किसी के गम को, अपना बनाना चाह्ता हूं,

एक ऐसा गीत गाना चाह्ता हूं, मैं..
खुशी हो या गम, बस मुस्कुराना चाह्ता हूं, इस छोटी सी जिन्दगी के, गिले-शिकवे मिटाना चाहता हूँ,

सब को अपना कह सकूँ, ऐसा ठिकाना चाहता हूँ,
टूटे तारों को जोड़ कर, फिर आजमाना चाहता हूँ,
 

बिछुड़े जनों से स्नेह का, मंदिर बनाना चाहता हूँ.
हर अन्धेरे घर मे फिर, दीपक जलाना चाहता हूँ,

खुला आकाश मे हो घर मेरा, नही आशियाना चाहता हू

राजस्थानी मुहावरे

https://www.facebook.com/ImRameshwar/ अकल बिना ऊंट उभाणा फिरैं । अगम् बुद्धि बाणिया पिछम् बुद्धि जाट ...बामण सपनपाट । आंध्यां की माखी रा...