Thursday, December 15, 2011

एक अहसास सी जिंदगी मिल गई..

समीर
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देखा तुझे जबसे
बस तबसे जीने की वजह मिल गई
तेरे साथ जिंदगी खुबसूरत होगी
ये वजह मिल गई
सभी कायदे और किताबे
अब छोड़ दिए पढने मैंने
बस तेरे अहसास के साथ
एक अहसास सी जिंदगी मिल गई

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तेरे लिए वो सब कुछ करना जो किसे ने कभी किया ना हो किसी ने कभी सोचा ना हो..

वो चेहरे पे बनावट का गुस्सा
वो उसकी आंखों मे छलकता प्यार भी
तेरी इस अदा को क्या कहे
कभी इकरार भी कभी इनकार भी
मुझे मिला वक्त तो तेरी जुल्फे सुलझा दूंगा
अभी तो ख़ुद वक्त से उलझा हूँ
एक दिन वक्त को उलझा दूंगा
दिल ये अब कुछ मानता नही 
तेरे सिवा अब ये कुछ जानता नही
पहले मेरे पास होती थी हजारो बातें करने को
आजकल तेरे सिवा कोई बात हो
वो दिन कैलंडर मे आता नही
हर पल तुझे याद करना तुझे सोचना
तुझे बेंतेहा प्यार करना और

Wednesday, November 30, 2011

जिस दिन तुम आ जाते हो, सचमुच घर जैसा लगता है......

दीवारों का ये जंगल जिसमें सन्नाटा पसरा है ..
जिस दिन तुम आ जाते हो, सचमुच घर जैसा लगता है


उसका चर्चा हो तो मन में लहरें उठने लगती हैं
उसका नाम झील में गिरते कंकर जैसा लगता है

पानी, धूप, अनाज जुटा लूं ......
फिर तेरा सिंगार निहारूं

दाल खदकती, सिकती रोटी ...
इनमें ही करतार निहारूं

तेज़ धार ओ' भंवर न देखूं
मैं नदिया के पार निहारूं ......

राजस्थानी मुहावरे

https://www.facebook.com/ImRameshwar/ अकल बिना ऊंट उभाणा फिरैं । अगम् बुद्धि बाणिया पिछम् बुद्धि जाट ...बामण सपनपाट । आंध्यां की माखी रा...