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- अकल बिना ऊंट उभाणा फिरैं ।
- अगम् बुद्धि बाणिया पिछम् बुद्धि जाट ...बामण सपनपाट ।
- आंध्यां की माखी राम उडावै ।
- आसोजां का पड्या तावडा जोगी बणग्या जाट ।
- काम का ना काज का ... ढाई मण अनाज का ।
- कौड़ी बिन कीमत नहीं सगा नॅ राखै साथ, हुवै जे नामों (रूपया) हाथ मैं बैरी बूझै बात।
- खेती करै नॅ बिणजी जाय, विद्या कै बल बैठ्यो खाय ।
- गादड़ै की मोत आवै जणा गांव कानी भागै।
- घी सुधारै खीचड़ी, और बड्डी बहू का नाम ।
- छड़ी पड़ै छमाछम, विद्या आवै धमाधम।
- ज्यादा स्याणु कागलो गू मैं चांच दे ।
- जंगल जाट न छोड़िये,हाटां बीच किराड़। रांगड़ कदे न छोड़िये,ये हरदम करे बिगाड़।।
- जमीन ऍर जोरु जोर की नहीं तो कोई और की।
- जाट मरा जब जानिये जब चालिसा होय ।
- जैं करी सरम, बैंका फूट्या करम ।
- दियो लियो आडो आवै ।
- दूसरे की थाळी मँ घी ज्यादा दीखॅ।
- पूत का पग पालणें में ही दीख जा हीं ।
- पीसो हाथ को, भाई साथ को ही काम आवै ।
- बैठणो छाया मैं हुओ भलां कैर ही, रहणो भायां मैं हुओ भलां बैर ही ।
- सावण भलो सूर'यो भादुड़ो पिरवाय, आसोजां मैं पछवा चाली गाडा भर भर ल्याव ।