कब मैं, मैं से तुम हो गयी, तुम्हारी यादों में गुम हो गयी ।
इस पर भी तुमने मेरी आरजू को न पहचाना, तुमने मुझे तुम नहीं..आप ही जाना ।
भारत के राजस्थान प्रान्त व मालवा क्षेत्र में करोड़ों लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा है। इस भाषा में प्राचीन साहित्य विपुल मात्रा में लोक गीत, संगीत, नृत्य, नाटक, कथा, कहानी आदि उपलब्ध हैं। इस भाषा को सरकारी मान्यता प्राप्त नहीं है। इस कारण शिक्षित वर्ग धीरे धीरे इस भाषा का उपयोग छोड़ रहा है, परिणामस्वरूप, यह भाषा धीरे धीरे ह्रास की और अग्रसर है। कुछ मातृभाषा प्रेमी अच्छे व्यक्ति इस भाषा को सरकारी मान्यता दिलाने के प्रयास में लगे हुए हैं।
Tuesday, October 6, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
राजस्थानी मुहावरे
https://www.facebook.com/ImRameshwar/ अकल बिना ऊंट उभाणा फिरैं । अगम् बुद्धि बाणिया पिछम् बुद्धि जाट ...बामण सपनपाट । आंध्यां की माखी रा...
-
कब मैं, मैं से तुम हो गयी, तुम्हारी यादों में गुम हो गयी । इस पर भी तुमने मेरी आरजू को न पहचाना, तुमने मुझे तुम नहीं..आप ही जाना ।
-
समीर - देखा तुझे जबसे बस तबसे जीने की वजह मिल गई तेरे साथ जिंदगी खुबसूरत होगी ये वजह मिल गई सभी कायदे और किताबे अब छोड़ दिए पढने मैंने बस...
-
नहीं मिलना तो भला याद भी आते क्यों हो इस कमी का मुझे एहसास दिलाते क्यों हो डर तुम्हे इतना भी क्या है कहो ज़माने का रेत पे लिख के मेरा ...
5 comments:
i dont get wht u want to say by this....?
hi aashtha kaisi ho, n itne cute words
really amezinggggg
To rohan
you will never get.
To Priyanka
thanks yar
Post a Comment