Thursday, December 15, 2011

तेरे लिए वो सब कुछ करना जो किसे ने कभी किया ना हो किसी ने कभी सोचा ना हो..

वो चेहरे पे बनावट का गुस्सा
वो उसकी आंखों मे छलकता प्यार भी
तेरी इस अदा को क्या कहे
कभी इकरार भी कभी इनकार भी
मुझे मिला वक्त तो तेरी जुल्फे सुलझा दूंगा
अभी तो ख़ुद वक्त से उलझा हूँ
एक दिन वक्त को उलझा दूंगा
दिल ये अब कुछ मानता नही 
तेरे सिवा अब ये कुछ जानता नही
पहले मेरे पास होती थी हजारो बातें करने को
आजकल तेरे सिवा कोई बात हो
वो दिन कैलंडर मे आता नही
हर पल तुझे याद करना तुझे सोचना
तुझे बेंतेहा प्यार करना और

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